जहाँ कदर न हो अपनी… -Jaha Kadar Na Ho Apni
जहाँ कदर न हो अपनी वहाँ जाना फ़िज़ूल है,
चाहे किसी का घर हो चाहे किसी का दिल।
Jaha Kadar Na Ho Apni Waha Jana Fizul Hai,
Chahe Kisi Ka Ghar Ho Chaahe Kisi Ka Dil..
सुन पगली… तू मोहब्बत है मेरी इसलिए दूर है मुझसे, अगर जिद होती तो मेरी बाहों में होती।. Sun Pagli… Tu Mohabbat... read more
गुमां इतना नहीं अच्छा तू सुन ले पहले जाने के, पलटने पर मुकर सकता हूँ तुझको जानने से भी। Gumaan Itna... read more
लाख तलवारे बढ़ी आती हों गर्दन की तरफ, सर झुकाना नहीं आता तो झुकाए कैसे। Laakh talavaare badhee aatee ho gardan... read more
जीत रही हूँ लाखो लोगो का दिल ये दो शायरी करके,,, लेकिन लोगो को क्या पता अंदर से कितनी अकेली... read more
तुम लौट के आने का तकल्लुफ़ मत करना, हम एक मोहब्बत को दोबारा नहीं करते। Tum laut ke aane ka takalluf... read more
इतना भी गुमान न कर अपनी जीत पर ऐ बेखबर, शहर में तेरे जीत से ज्यादा चर्चे तो मेरी हार... read more
दिलों से खेलना हमें भी आता है पर जिस खेल में खिलौना टूट जाए, वो खेल हमें पसंद नही..! Dilon se khelna... read more
ब्रेकअप नि हौन हमर पहाड़ो में, अबुलौ लिनी, मुंणि रिसै जानी । ज्यादे के नै एक निमु लिजाओ, सब भुलि बै दुबारा... read more
एट्टीट्यूड तो हम मरने के बाद भी दिखाएंगे, दुनिया पैदल चलेगी और हम कंधो पर Attitude too ham marne ke baad... read more
हमारी शख्सियत का अंदाज़ा, तुम ये जान के लगा लो, हम कभी उनके नही होते, जो हर किसी के हो जाए। Hamaari shakhsiyat... read more