एक बार सुबह-सुबह एक पंडितजी गंगा
एक बार सुबह-सुबह एक पंडितजी गंगा -स्नान करके लौट रहे थे।
सामने से एक सरदार जी दातून मुँह में लगाए टहलते आ रहे थे।
दोनों की (एक की भक्ति में और दूसरे की नींद के असर में) आँखें झुकी हुई थीं।
दोनों आपस में टकरा गए।
पंडित जी को क्रोध आगया बोले-
“बिना नहाया हुआ मुझसे छू गया मुझे अशुद्ध कर दिया।”
सरदारजी को भी गुस्सा आ गया।
बोले “तो कि हो गया ?”
पंडितजी- “तुम क्या समझोगे, कभी धर्म-पुराण पढ़े ही नहीं।”
सरदारजी- “ओय पंडत ज्यादा ना बन। मैंने भी सब कुछ पढ़ रखा है।”
पंडितजी- “अच्छा तो पाँच-पांडवों के नाम बताओ ?”
सरदार जी बोले ल्य सुन!
सरदारजी- “इक पीम, इक ओदा भाई, इक होर, इक होर ते इक्दा नाम बुल्य ग्या।”