एक भक्त था
एक भक्त था वह बिहारी जी को बहुत मानता था,
बड़े प्रेम और भाव से उनकी सेवा
किया करता था.एक दिन भगवान से
कहने लगा –में आपकी इतनी भक्ति करता हूँ पर आज तक मुझे आपकी अनुभूति नहीं हुई.
मैं चाहता हूँ कि आप भले ही मुझे दर्शन ना दे पर ऐसा कुछ कीजिये की मुझे ये अनुभव हो की आप हो.
भगवान ने कहा ठीक है.
तुम रोज सुबह समुद्र के किनारे सैर पर जाते हो,
जब तुम रेत पर
चलोगे तो तुम्हे दो पैरो की जगह चार पैर दिखाई देगे,
दो तुम्हारे पैर होगे और दो पैरो के निशान मेरे होगे.
इस तरह तुम्हे मेरी
अनुभूति होगी.अगले दिन वह सैर पर गया,
जब वह रे़त पर चलने लगा तो उसे अपने पैरों के साथ-साथ दो पैर और भी दिखाई दिये वह बड़ा खुश हुआ,
अब रोज ऐसा होने लगा.
एक बार उसे व्यापार में घाटा हुआ सब कुछ चला गया,
वह रोड पर आ गया उसके अपनो ने उसका साथ छोड दिया.
देखो यही इस दुनिया की प्रॉब्लम है, मुसीबत मे सब साथ छोड देते है.
अब वह सैर पर गया तो उसे चार पैरों की जगह दो पैर दिखाई दिये.
उसे बड़ा आश्चर्य हुआ कि बुरे वक्त मे भगवन ने साथ छोड दिया.
धीरे-धीरे सब कुछ ठीक होने लगा फिर सब लोग उसके
पास वापस आने लगे.
एक दिन जब वह सैर
पर गया तो उसने देखा कि चार पैर वापस दिखाई देने लगे.
उससे अब रहा नही गया,
वह बोला-
भगवान जब मेरा बुरा वक्त था तो सब ने मेरा साथ छोड़ दिया था पर मुझे इस बात का गम नहीं था क्योकि इस दुनिया में ऐसा ही होता है,
पर आप ने भी उस समय मेरा साथ छोड़ दिया था,
ऐसा क्यों किया?
भगवान ने कहा –
तुमने ये कैसे सोच लिया की में तुम्हारा साथ छोड़ दूँगा,
तुम्हारे बुरे वक्त में जो रेत पर तुमने दो पैर के निशान देखे वे तुम्हारे पैरों के नहीं मेरे पैरों के थे,
उस समय में तुम्हे अपनी गोद में उठाकर चलता था और आज जब तुम्हारा बुरा वक्त खत्म हो गया तो मैंने तुम्हे नीचे उतार दिया है.
इसलिए तुम्हे फिर से चार पैर दिखाई दे रहे है