जहाँ कदर न हो अपनी… -Jaha Kadar Na Ho Apni
जहाँ कदर न हो अपनी वहाँ जाना फ़िज़ूल है,
चाहे किसी का घर हो चाहे किसी का दिल।
Jaha Kadar Na Ho Apni Waha Jana Fizul Hai,
Chahe Kisi Ka Ghar Ho Chaahe Kisi Ka Dil..
मैं चिरागो की भला कैसे हिफाजत करता वक़्त सूरज को भी हर रोज बुझा देता है..!! Main Chirago Ki Bhala Kaise... read more
दिखावे की मोहब्बत तो जमाने को हैं हमसे पर, ये दिल तो वहाँ बिकेगा जहाँ ज़ज्बातो की कदर होगी। dikhaave kee... read more
आदते बुरी नहीं, शौक ऊँचे हैं, वर्ना किसी ख्वाब की इतनी औकात नही कि,हम देखे और पूरा ना हो। Aadatein Buri Nahi... read more
garhwali shayari – गढ़वाली शेरो शायरी ख्याल त्येरू मैं दगडी दिन रात रेंदू. मन ब्वोदू हाथों माँ त्येरू हाथ चेंदू. जिकुड़ी करदी... read more
चहाइयै रै गोय मै ऊकेंणि पैलि बार देखी जब किनारी बजार मे ऊ लागी हय अपुण खरीदारी मे और मै उइक रूपक... read more
आग लगाना मेरी फितरत में नही है, मेरी सादगी से लोग जलें तो मेरा क्या कसूर। Aag Lagana Meri Fitrat Mein... read more
शोर करते रहो तुम सुर्ख़ियों में आने का, हमारी तो खामोशियाँ भी एक अखबार हैं। Shor Karte Raho Tum Surkhiyon Me... read more
अगर लोग यूँ ही कमियां निकालते रहे तो, एक दिन सिर्फ खूबियाँ ही रह जायेगी मुझमें । Log Agar Yun Hi... read more
“खिड़की में बैठ मेरी ईजा चेह री होली बाँट बाँटा कब लौट बे ऊलो मी परदेस बटी लैग रो... read more
औकात की बात मत कर पगली… हम जिस गली में पैर रखते हैं, वहाँ की लड़कियां अक्सर कहती हैं, बहारो फूल बरसाओ... read more